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रक्तदाब क्या है एवं इसके प्रकार

रक्तदाब क्या है – नमस्कार दोस्तों बहुत-बहुत स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग technikhlesh.com में, दोस्तों आज के इस आर्टिकल में मैं आपको बताने वाला हूं की रक्तदाब (ब्लड प्रेशर) क्या होता है । उच्च रक्तदाब और निम्न रक्तदाब क्या होता है और इसे सामान्य किस तरह से किया जा सकता है और रक्तदाब उच्च और निम्न क्यों होता है । यह सब आज मैं आपको बताने वाला हूं इसलिए यदि आपको रक्तदाब से जुड़ी पूरी जानकारी चाहिए तो प्लीज हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ना । तो बिना समय गवाएं चलिए जान लेते हैं कि रक्त दाब क्या है।

रक्तदाब क्या है

हमारे हृदय से रक्त जितने दबाव के साथ हमारी धमनियों में प्रवाहित होता है उसे रक्तदाब या ब्लड प्रेशर कहते हैं । अर्थात जब निलय अपने आकुंचन द्वारा धमनियों में रक्त या रुधिर पंप करता है तो इस रुधिर का या रक्त का दबाव धमनिया की दीवारों पर पड़ता है,इसी दाब को रक्तदाब या ब्लड प्रेशर को कहा जाता है ।
यदि और सरल भाषा में इसको समझे तो जिस दाब के साथ रक्त रुधिर धमनियों में बहता है उसे ही रुधिर दाब या ब्लड प्रेशर कहा जाता है । रक्तदाब को शॉर्टकट में BP कहते हैं।
रक्त दाब का सबसे पहला परीक्षण स्टीफेन हेल्स ने घोड़े पर किया था । आपको बता दें की धमनी में शिरा की अपेक्षा रक्तदाब अधिक होता है।

रक्तदाब के प्रकार

रक्तदाब दो प्रकार का होता है-

1.प्राकुंचन रक्तदाब (systolic blood pressure) – हृदय के सकुंचन से उत्पन्न दाब के कारण धमनी में रक्त बहता है इसेप्रकुंचन रक्त दाब कहते हैं। और सरल भाषा में समझने के लिए जब रुधिर या रक्त को पंप करता है तो वह धमनियों में जिस दाब के साथ बहता है उसे ही प्राकुंचन रक्तदाब (systolic blood pressure) कहते हैं। यह सबसे अधिक रुधिर दाब होता है इस दाब को सहन करने के लिए धमनियों का मध्य स्तर अधिक मोटा तथा लचीला होता है।

2.अनुशिथिलन रक्तदाब -हृदय में शिथिलन के कारण धमनी में रक्तदाब कम हो जाता है इसे ही अनुशिथिलन रक्तदाब कहते हैं या Diastolic blood pressure कहते हैं। अथवा इसको ऐसे समझें की हृदय के विश्राम अवस्था के समय रुधिर जिस दबाव के साथ धमनियों में बहता है उससे ही डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। मतलब जब हृदय अपनी शिथिलन की अवस्था में होता है या शिथिलित होता है तो धमनियों में रुधिर जिस दाब के साथ बहता है उसे ही अनुशिथिलन रक्तदाब कहते हैं।


रक्तदाब या ब्लड प्रेशर को मापने के लिए स्फिग्मोमनोमेटेर (sphygmomnometer) का प्रयोग किया जाता है।

High Blood Pressure – मनुष्य में आदर्श सिस्टोलिक दाब 120 से 130mmHg होता है। आदर्श डायस्टोलिक दबाव 70 से 80 mm Hg होता है। सामान्य रूप से यदि देखा जाए तो मनुष्य में रक्त दाव 120 या 80 mm Hg होता है। जब सिस्टोलिक दाब 130 से बढ़कर 140 या 150 mmHg तथा डायस्टोलिक दाब 80 से बढ़कर 90 या 100 mmHg से अधिक होता है तो वह हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तदाब कहलाता है।

मनुष्य में जब धमनिया अधिक संकीर्ण हो जाती है तो ह्रदय द्वारा रुधिर को शरीर में भेजने के लिए अधिक बल लगाना पड़ता है इससे उच्च रक्तदाब हो जाता है। अधिक मोटापा,आवेग।अत्यधिक मानसिक तनाव।अधिक शारीरिक कार्य।अधिक धूम्रपान। संतुलित पोषण आदि के कारण लोगो में उच्च दाब या हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है। High Blood Pressure के कारण हृदय गति रुक जाने का भी भय रहता है मतलब की हार्टअटैक होने की संभावना बढ़ जाती है।

Low Blood Pressure– अब आपको बता दें कि जब आदर्श सिस्टोलिक दबाव 100mmHg या इससे नीचे तथा डायस्टोलिक दबाव 80 से घटकर 50 mmHg या इससे भी नीचे होता है तो इसे निम्न रक्तदाब या Low Blood Pressure कहते हैं। हृदय जब रुधिर को कम दाब से धमनियों में भेजता है तो किसे निम्न रक्तदाब कहते हैं। इसमें रुधिर की कमी,दुर्बलता,थकान आदि के कारण ऐसा होता है। इससे शरीर में कमजोरी आ जाती है और ह्रदय गति रुकने का भय इसमें भी बना रहता है।

उपसंहार

दोस्तों उम्मीद है आपको मेरे द्वारा दी गई रक्तदाब की जानकारी अत्यधिक पसंद आई होगी और आपको समझ में भी आ गया होगा किरक्तदाब क्या है .यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले।

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